पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए। यह बैठक ढाई घंटे तक चली।
इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल समेत कई अधिकारी मौजूद थे।
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने कहा, “पहलगाम आतंकवादी हमले की गंभीरता को देखते हुए कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने 5 बड़े निर्णय लिए हैं।”
सरकार ने लिए हुवे 5 बड़े निर्णय :
- पहला निर्णय: पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।
- दूसरा निर्णय:अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है।
- तीसरा निर्णय: पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीज़ा मुक्त योजना (SVES) के तहत भारत यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो पाकिस्तानी नागरिक वर्तमान में SVES वीज़ा पर भारत में हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा।
- चौथा निर्णय: नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत रक्षा, थलसेना, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित किया गया है। उन्हें भारत छोड़ने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है।
- पांचवां निर्णय: भारत ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को वापस बुला लिया है।
पहलगाम हमले में 27 लोगों की मौत हुई है। 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह हमला उस समय हुआ जब बैसरण घाटी में बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे। मृतकों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के पर्यटक शामिल हैं। नेपाल और यूएई के एक-एक पर्यटक और दो स्थानीय लोग भी मारे गए।
इधर, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने पहलगाम हमले के संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। उनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए जा रहे हैं।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है, जो पाकिस्तान में मौजूद है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस हमले में 5 आतंकी शामिल थे। इनमें से दो स्थानीय और तीन पाकिस्तानी आतंकी थे।
निष्कर्ष: भारत ने पहलगाम हमला को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए हैं। सिंधु जल संधि का स्थगन, कूटनीतिक और सैन्य प्रतिबंध इस ओर संकेत करते हैं कि भारत अब आतंकवाद पर “जीरो टॉलरेंस” नीति अपना रहा है। आने वाले समय में यह भारत-पाक संबंधों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
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